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चिड़कली / राजेन्द्रसिंह चारण
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मैं चिड़कली
थारा आंगणा री
मा
उड़ जास्यूं
थोड़ा दिनां सूं
आ तै है
पछै’ई
क्यूं मारै थूं
म्हनै पेट में’ई।