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चिड़ियाँ और कविताएँ-1 / कुमार विकल
Kavita Kosh से
तुम्हारी कविता में सिर्फ़ एक बुलबुल है
मेरी कविता के आँगन में कई पेड़ हैं
जिनमें सैंकड़ों चिड़ियाँ
दूर—दराज से आकर
अपने घौंसले बनाती हैं
चोंच—दर—चोंच
अनुभव का चोगा
मेरी कविताओं को खिलाती हैं.