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चिड़ियाँ और कविताएँ-3 / कुमार विकल
Kavita Kosh से
आजकल वह बहुत ख़ुश रहता है
दोस्तों की महफ़िल में
इतने ज़ोर के ठहाके लगाता है
कि मेज़ पर रखे गिलास टूट जाते हैं
और दोस्त बिना बात के रूठ जाते हैं.
रूठे हुए दोस्तों को मनाने के लिए
वह फ़ैज़ की ग़्ज़लें गुनगुनाता है
औए रेशमा के गीत गाता है.
आजकल वह बहुत ख़ुश रहता है
बीवी —बच्चों से बहुत प्यार करता है
ठीक वख़्त पर दफ़्तर जाता है
ठीक वक़्त पर घर लौट आता है.
आजकल वह बहुत ख़ुश रहता है
लेकिन इस सब के बावजूद
हर बरसाती रात में
वह अक्सर अकेला घर से निकल जाता है
और पीछे
एक कवितानुमा ख़त छोड़ जाता है—
“उसे एक साँवली चिड़िया के सिसकने की आवाज़ आ रही है
लेकिन वह सिद्धार्थ नहीं
उस चिड़िया के लिए बस एक घौंसला बनाएगा
और बरसात ख़त्म होने पर
घर लौट आएगा.’