भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिड़ियाघर / शुन्तारो तानीकावा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: शुन्तारो तानीकावा  » संग्रह: पेड़ों से छनकर आई धूप
»  चिड़ियाघर

चिड़ियाघर


पेड़ों से छनकर आई धूप के नीचे

मेरी नन्ही बच्ची “मन्की ट्रेन” की सवारी कर रही है

जब वह नजदीक आती है मैं खुश होता हूं

जब वह दूर जाती है मैं उदास हो जाता हूं

हर तीसरी बार मैं कैमरे का शटर नहीं दबा पाता।


यहां हमारे जैसे बहुत से परिवार हैं

मुझे उनसे ज्यादा खुशी महसूस नहीं होती

मुझे उनसे कम खुशी महसूस नहीं होती

तो भी मेरा मन अचानक गहराने लगता है


हाथी अपनी सूंढ़ को उठाकर गिराता है

मगरमच्छ जिन्दा रहता है खामोशी के साथ

छलांग लगाता है हिरन

किस तरह का जानवर कहा जा सकता है मुझे ?