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चिड़िया और दादूराम / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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चिड़िया बोली दादूराम।
दादू बोले क्या है काम।
मुझको थोड़ा पानी दे।
पानी दे जिंदगानी दे।
थोड़ा मुर्रा लाई खिला।
हुआ वृद्ध कुछ पुण्य कमा।
पायेगा तू अच्छा नाम।
हम तो पंछी प्यासे हैं।
बड़ी दूर से आते हैं।
नदी ताल सूखे-सूखे।
पेड़ हुए रूखे-रूखे।
आप महल के स्वामी हैं।
नामी और गिरामी हैं।
हम तो रहते बिना छदाम।
दादू के घर में थे ठाठ।
लेकर आये सकोरे आठ।
सबमें पानी ख़ूब भरा।
खुश हैं पानी पिला-पिला।
दाने चाँवल के डाले।
बोले बेटी आ खाले।
दुख होंगे अब दूर तमाम।