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चिड़िया का गांव / सुरेश विमल

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पिछवाड़े का पेड़ नीम का
है नन्ही चिड़िया का गांव।

तिनका तिनका जोड़ बना है
एक घोंसला जो न्यारा सा
अरे यही तो है चिड़िया का
भरा प्यार से घर प्यारा-सा।

मां के आंचल जैसी इस पर
रहती है पत्तों की छांव।

उड़ उड़ कर जाए फिर आए
नन्ही चिड़िया लौट यहीं
अपने घर से दूर कभी मन
लगता भी तो नहीं कहीं।

ममता कि यह बेड़ी बाँधे
चंचल-सी चिड़िया के पांव।

रहते पंछी और बहुत से
चिड़िया वाले इसी गाँव में
होती है मेले की रौनक
चिड़िया वाले इसी गाँव में।

मिट्ठू तोते के बोलों में
घुल जाती कौए की कांव।