ओ नन्ही चिड़िया
क्यों धूप में खड़ी,
कल तक थी घबराती
धूप से बड़ी।
पानी में भीग-भीग
नहाती थी खूब,
पर फैला बाल्टी में
जाती थी डूब।
हो गया जुकाम या-
बुखार में पड़ी?
वर्षा ने डाली थी
पानी की धार,
धरा हुई शीतल
अब न गर्मी की मार।
मीठी है धूप अब
आ गया क्वार,
ना है जुकाम मुझे
ना है बुखार।
-साभार: पराग, नवंबर, 1978, 20