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चिड़िया जानती है — अपना यथार्थ / मुन्नी गुप्ता

चिड़िया को पता है — यथार्थ
अपना यथार्थ
वह चिड़िया है — सिर्फ़ चिड़िया
उसका जीवन है — उड़ना
उसकी दुनिया है —
आसमान में परवाज़ भरना

न तो वह आसमाँ पर
समन्दर की चादर तान सकती है
और न ही —
समन्दर पर नीले फूलों का आसमाँ
उतार सकती है

उसकी नियति
उसका जीवन
उसका यथार्थ
सिर्फ परवाज़ भरना है

जीवन सत्य है ये —
चिड़िया का अकेले रहना
अकेले परवाज भरना
           और अकेले ही अपनी आवाज़ से
निस्तब्धता को तोड़ना

उसने समन्दर की निस्तब्धता तोड़ी
उसके जीवन को ग़ुलज़ार किया

उसने
आसमाँ की निस्तब्धता तोड़ी
उसके सूनेपन को गुँजायमान किया

उसने
प्रकृति की निस्तब्धता तोड़ी
उसमें सरगम की लय पैदा की

ये चिड़िया का सत्य है ।