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चिड़िया से पूछो / सुधा गुप्ता
Kavita Kosh से
घोंसले की
सार्थकता
कितनी है
चिड़िया से पूछो 1
सिर्फ़ उतनी
कि जितनी देर
उसमें अण्डे रहें
अण्डों से बच्चे निकलें
बच्चे उड़ना सीखें
दाना-दुनका खाना सीखें
और
फिर एक दिन उड़ जाएँ
फुर्र … फुर्र … फुर्र …
चिड़िया
फिर कभी
मुँह मोड़कर घोंसले की ओर
नहीं देखती ।
तुम
ईंट-पत्थर के क़ैदख़ाने से
चिपके-जुड़े
ताज़िन्दगी क़ैद काटते हो !
(बूढ़ी सदी और डैने टूटा आदमी 14-12-1983)