भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिड़िया / अनुलता राज नायर
Kavita Kosh से
बीती रात ख्वाब में
मैं एक चिड़िया थी...
चिडे ने
चिड़िया से
माँगे पंख,
प्रेम के एवज में.
और
पकड़ा दिया प्यार
चिड़िया की चोंच में!
चिड़िया चहचहाना चाहती थी
उड़ना चाहती थी...
मगर मजबूर थी,
मौन रहना उसकी मजबूरी थी
या शर्त थी चिडे की,
पता नहीं...
नींद टूटी,
ख्वाब टूटा,
सुबह हुई...
मैं एक चिड़िया हूँ
सुबह भी
अब भी...