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चिड़ै आ बानर / दिलीप कुमार झा
Kavita Kosh से
हम खंजनि
हम बुलबुल
हम चहकब
हम फूदकब
हम नाचब
हमरे सँ खिल-खिल
हमहीं बतासा
आमक गाड़ा
मकइक लाबा
खुओने छथि बाबी
भूल्ली महींसक दूध
पिओने छथि बाबा
भरि-भरि डाबा
करेज हमर पुष्ट
बाँहि हमर कस्सल
गात मजगूत
रोकबेँ जे रस्ता रे बनरा
हाथ गोर तोड़ि क' ,
बना देबौ भूत।