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चितौड़ का जौहर / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
उस
जल-महल के तल की
सीढ़ियों पर
जो सरोवर में
उ
त
र
ती है
खड़ी थी-
पद्मिनी
और उसका प्रतिबिम्ब
सरोवर के किनारे की
बुर्जी में लगे
ति
र
छे
दर्पण
उभरता था
अलाउद्दीन
तब तुमने देखा होगा सौन्दर्य
मुझे शक है
जो था
वह एक क्लीव की पत्नी होने का
अपमान था
जो धूँ-धूँ कर जल रहा था
और बाद में भी जो जला
वह भी वही था
जिसे लोगों ने जौहर कहा था