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चित्रकार / सुरेश विमल
Kavita Kosh से
रंग और ब्रश मिल जाएँ बस
चित्रकार मैं बन जाऊंगा।
कान बनाऊंगा हाथी के
शुतुरमुर्ग की टांगे
कत्थक करते हुए मोर की
सिरजूंगा मैं आंखें।
पल फुर्सत के मिल जाए बस
चित्रकार मैं बन जाऊंगा।
चित्र अजंता एलोरा के
रच रच कर दीवारों पर
मित्रों को लाऊंगा अपनी
कला दिखाने में घर पर।
शाबाशी कुछ मिल जाए बस
चित्रकार मैं बन जाऊंगा।