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चित्रकूट स्तुति/ तुलसीदास
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चित्रकूट स्तुति (राग बसन्त)
सब सोच-बिमोचन चित्रकूट। कलिहरन, करन कल्यान बूट।1।
सुचि अवनि सुहावनि आलबाल। कानन बिचित्र, बारी बिसाल।2।
मंदाकिनि-मालिनि सदा सींच। बर बारि, बिषम नर-नारि नीच।3।
साखा सुसृंग, भूरूह -सुपात। निरझर मधुबरद्व मृदु मलय बात।4।
सुक,पिक, मधुकर, मुनिबर बिहारू। साधन प्रसून फल चारि चारू।5।
भव-घोरघाम-हर सुखद छाँह। थप्यो थिर प्रभाव जानकी-नाह।6।
साधक-सुपथिक बड़े भाग पाइ। पावत अनेक अभिमत अघाइ।7।
रस एक, रहित-गुन-करम-काल। सिय राम लखन पालक कृपाल।8।
तुलसी जो राम पद चाहिय प्रेम। सेइय गिरि करि निरूपाधि नेम।9।