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चित्र बनाते हुए / नरेश गुर्जर
Kavita Kosh से
चित्र बनाते हुए
जो कभी
चित्रकार की कूंची से
एक अकेला रंग
छिटक कर बह निकले
विषय की विपरीत दिशा में
तो समझना
वो कोई मिजाजी बच्चा है
या कैद से छूटी कोई कविता
या फिर
खुद की ओर लौटती हुई
कोई स्त्री