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चित्र बनाने की कामना / बाद्लेयर / मदन पाल सिंह

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Le désir de peindre<ref>(1) यहाँ, फ्रांसीसी साहित्य में गद्य-गीत या गद्य में कविता के प्रस्तोता और आविष्कारक आलोइसिउस बेरत्रों का स्मरण स्वाभाविक तौर पर होने लगता है । इस रचना में बेरत्रों के सच्चे उत्तराधिकारी की तरह आधुनिक कविता के अग्रगामी बोदलेअर अपने चरम पर दिखाई देते हैं । रचना में कामना, कला और स्त्री एकरूप होने लगते हैं, जिनसे पार पाना एक समस्या ही है. इसके अनेकार्थ मौजूद हैं । (2) वैसे भी चंद्रग्रहण के दौरान चाँद की स्थिति विचित्र हो जाती है और एक विरोधाभास उत्पन्न हो जाता है। यहाँ यूनानी मिथक कथाओं का एक प्रसंग भी है. माना जाता है कि Thessalie की जादूगरनियाँ बड़ी कारसाज़ थीं । यह भूभाग यूनान के उत्तर-पश्चिम में स्थित है ।</ref>

यह शायद आदमी ही है, जो दुखी है । लेकिन वहीं एक सुखी कलाकार भी है, जिसका हृदय कला को व्यक्त करने के लिए विदीर्ण हुआ जा रहा है । मैं उसका चित्र बनाने के लिए बेताब हूँ, जो बहुत मुश्किल से मुझे दिखाई देती है और फिर बहुत जल्दी ग़ायब भी हो जाती है, जैसे लम्बे समय से अदृश्य, पछतावे से भरी कोई चीज़ यात्रा के पीछे से रात्रि में विलीन हो जाए । वह सुन्दर है, और सुन्दर से ज़्यादा; कहूँ तो वह चकित करने वाली है । अँधेरे में उससे प्रेरणा निःसृत होती है । और वह जो कुछ भी, जिसके लिए भी प्रेरित करती है, वह रात्रिकालीन और गहन है । उसकी आँखें दो गहरे विवर हैं, जहाँ रहस्य अस्पष्ट रूप से चमकता है और उसकी दृष्टि दामिनी की तरह रोशन होती है । दरअसल, यह घटना गहन तम में एक ज्योतिर्मय विस्फोट है । अगर कोई एक काले नक्षत्र की कल्पना कर सकता है, जो प्रकाश और ख़ुशी देता है तो मैं इसकी तुलना एक स्याह सूर्य से करूँगा । लेकिन यह अधिक आसानी से चन्द्रमा के बारे में सोचती है । चन्द्रमा इस पर निस्सन्देह अपने दुर्जेय प्रभाव के चिन्ह छोड़ता है । यह रूमानी काव्य का सफ़ेद चाँद नहीं, जो एक ठिठुरती दुल्हन की तरह दिखता है, बल्कि यह तो भयावह और मादक चन्द्रमा है, जो एक तूफ़ानी रात की गहराई में ठहरा हुआ है और रात भागते हुए बादलों से घिरी है । यह शान्तिपूर्ण और विवेकपूर्ण चन्द्रमा नहीं है, जो पवित्र पुरुषों की नींद में आ जाया करता है, बल्कि यह तो वह चन्द्रमा है, जिसे आकाश से खींचकर विदीर्ण कर दिया गया था । यह पराजित और विद्रोही चन्द्रमा है । इसे थेसाली की जादूगरनियों ने घास पर नृत्य करने के लिए मजबूर किया था।

उसके छोटे से मस्तिष्क में ज़िद्दी इच्छा और शिकार के प्रति प्रेम का वास होता है। उस दौरान उस परेशान चेहरे पर नीचे, जहाँ फड़कते हुए नथुने अज्ञात व असम्भव को सूँघते रहते हैं, वही मुख अकथनीय रूप से खुलकर हँसने लगता है । और यह मुख लाल, सफ़ेद और आनन्ददायक है । यह हँसी ज्वालामुखी युक्त धरा में एक ख़ूबसूरत फूल खिलने का एक चमत्कार भरा स्वप्न बुनती है ।

यहाँ ऐसी औरतें हैं, जो ख़ुद उन्हें जीतने की इच्छा और उनके साथ आनन्द करने की इच्छा को भी प्रेरित करती हैं । लेकिन यह घटना उनकी नज़रों के नीचे धीरे-धीरे मरने की चाह भी पैदा करती है ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मदन पाल सिंह

शब्दार्थ
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