चिन्ता के अगनी तहरा के लेस-लेस खा जइहें / अंजन जी
चिन्ता के अगनी तहरा के लेस-लेस खा जइहें
ए मैना तू आसरा छोड , तोता फेरु ना अइहें ।
काहें आंख मिलवलू कइलू फुदुक-फुदुक के खेला
पतइन के कोरा में सटि के खूब लगवलू मेला
ना जनलू की पतझड़ आई, पात-पात झर जइहें
ए मैना तू आसरा छोड़ , तोता फेरु ना अइहें ।
ढेर बहाना कइलू जग से, कनखी से बतिअवलू
देश-काल मौसम सगरो के ठुकरवलू लतिअवलू
पछतइला में का बाटे अब बीतल दिन लवटइहें
ए मैना तू आसरा छोड़, तोता फेरु ना अइहें ।
फगुनी हवा चइता के पुरवा बरखा परल फकारी
जड़वा के साथे-साथे रस लुटलू पांखि पसारी
भरल उमरिया के सब साथी ढलती के अपनइहें
ए मैना तू आसरा छोड़, तोता फेरु ना अइहें ।
आपन जिंनगी अपने काट ना केहू दुख बांटी
इ दुनिया ह सुख के साथी दुख के देहियां माटी
सुख में जे-जे चहकल साथे असमय देख परइहें
ए मैना तू आसरा छोड़, तोता फेरु ना अइहें ।
लागल पल भर पलक सुगनवा अचके में आ गइले
अइसन उमगल प्राण दुनू के साथे में उड़ गइले
मिलल नयन तब प्राण जुड़ाइल अंजन नसन जुड़इहें
ए मैना तू आसरा छोड़, तोता फेरु ना अइहें ।