भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिन्ता मत कर / रणजीत
Kavita Kosh से
चिन्ता मत कर, चिन्तन कर
आफ़त की आशंका से मत घबरा
आफ़त जब सचमुच आ जाये
तब तू उठकर सामने आ
मन की शान्ति बनाये रख
स्थिर कर अपनी बुद्धि, न डर
चिन्ता मत कर, चिन्तन कर।