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चिर व्यथा का भार लेकर क्या करोगे? / संदीप ‘सरस’
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चिर व्यथा का भार लेकर क्या करोगे?
दोगला संसार लेकर क्या करोगे?
आप इस अपमान के पश्चात बोलो,
खोखले उपहार लेकर क्या करोगे?
ढोंग लादे पीठ पर जब घूमते हो,
ज्ञान का विस्तार लेकर क्या करोगे?
न्यायसंगत बात की अनुमति न हो तो,
व्यर्थ के अधिकार लेकर क्या करोगे?
आपके जो खेत तक जाती नहीं हो,
उस नहर की धार लेकर क्या करोगे?
चाटुकारों का जहाँ मजमा लगा हो,
आप वह दरबार लेकर क्या करोगे?