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चींटी मेरी बेस्ट फ्रेंड है / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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चींटी मेरी बेस्ट फ्रेंड है,
बीए पास बीएड ट्रेंड है।
हर दिन लांग ड्राइव पर जाती,
अपने ख़ुद को ख़ुद ही चलाती।
शकर-गुड़ जैसे भोजन को,
अपने सिर पर रख ले आती।
करती है दिन-रात परिश्रम,
नहीं काम का कभी एंड है।
चलती है तो चलती जाती,
बिना रुके ही बढ़ती जाती।
थकने का तो नाम ना लेती,
जब तक मंज़िल ना मिल जाती।
दृढ़ इच्छा के एयरपोर्ट पर,
करती श्रम का प्लेन लैंड है।
है कतार में बढ़ती जाती,
गिर जाती तो उठकर आती।
अगर कहीं व्यवधान हुआ तो,
काट-काट चक्कर आ जाती।
शिक्षा देती है हम सबको, श्रम
का हर दम अपर हैंड है।
उठो और चल पड़ो बात यह,
कही विवेकानंदों ने है।
लंगड़ों ने पर्वत लांघे हैं,
नदी पार की अंधों ने है।
हर चींटी ने इसी बात का,
हमें किया ई-मेल सेंड है।