Last modified on 20 जनवरी 2010, at 12:53

चीख़ बन जाती है स्त्री / रंजना जायसवाल

कौन करता है
उसे जानने समझने
की कोशिश

हर रूप में
दुःख पाती है स्त्री

बन जाती है अन्ततः
एक चीख़।