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चीज़ें रहेंगी सुन्दर / यून्ना मोरित्स
Kavita Kosh से
बेमतलब नहीं होती चीज़ें सुन्दर
काले वर्ष में भी नहीं उगते
बेमतलब मेपल, बेमतलब सरई
और तालाब में बेमतलब फूल ।
किसी डरावने दृश्य को देखे बिना
काली छाया में भी नहीं बहती
लहरें, गीत, बेमतलब चमक
और बेमतलब आँसू और दिन ।
तरह-तरह की पड़ती रही मुसीबतें
पर काली शताब्दियों में भी बेमतलब नहीं हुई
बेमतलब राई, बेमतलब वक़्त
चूसनियों में बेमतलब दूध ।
स्पष्ट है यह बात, एकदम स्पष्ट
यहाँ और अन्यत्र कहीं भी
बेमतलब नहीं होती चीज़ें सुन्दर
इसलिए तो वे शायद खींचती है अपनी तरफ़ ।
सुन्दर है रहस्य, सुन्दर है जादू
सुन्दर है बादलों के पीछे से तारों की पुकार :
यूँ ही नहीं होती चीज़ें सुन्दर
वे रहेंगी सुन्दर जैसी हैं वे आज ।