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चीनी लड़ाई पर / पाण्डेय आशुतोष
Kavita Kosh से
खबरदार ! हमरे धरती पर भारी कतल मचल बा,
आज बहत गंगा के पानी खून हो गइल !!
आज जनम धरती के गौनहरी के सेनुर बाटे,
जब ले बैरी मात ना खाई, कसम आज जे टिकुली साटे,
जेह दिन मरले भगत, खुदी इतिहास बनावेवाला,
बस तहिये से चढ़त जवानी दे देहल कानून हो गइल !!
खुस बाड़ी बुढ़िया महतारी, बेटा के बलि देबेवाली,
बहीन लपेट कमर में साड़ी, चलल गदर में बन के काली
रन में गोली जाला, लोहसाई में किरच गढ़ाला,
बीरन से अबहिन ना धरती सून हो गइल !!
ऊ रोवे तलवार-तोप में लागल जेकरा मुरचा होखे,
ऊ रोवे जेकर कुल रन से पीठ फेर के भागल होखे,
ए धरती पर हरदम गावल गीत मौत के जाला,
शेर-बबर के आगे दुश्मन घून हो गइल !!