भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चील के पाँव से बंधी चिड़िया / विजय किशोर मानव
Kavita Kosh से
चील के पांव से बंधी चिड़िया
तीर से, घाव से बंधी चिड़िया
आंख से दूर क्षितिज तक पानी
डूबती नाव से बंधी चिड़िया
गाते-गाते ही हांफने लगती
टीन की छांव से बंधी चिड़िया
ख़ाक कर डाला घोंसला जिसने
उसके बरताव से बंधी चिड़िया
मात आकाश में, हर पेड़ पे शह
जाने किस दांव से बंधी चिड़िया
ले के बच्चे गई उदास शहर
याद के गांव से बंधी चिड़िया