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चील के पाँव से बंधी चिड़िया / विजय किशोर मानव

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चील के पांव से बंधी चिड़िया
तीर से, घाव से बंधी चिड़िया

आंख से दूर क्षितिज तक पानी
डूबती नाव से बंधी चिड़िया

गाते-गाते ही हांफने लगती
टीन की छांव से बंधी चिड़िया

ख़ाक कर डाला घोंसला जिसने
उसके बरताव से बंधी चिड़िया

मात आकाश में, हर पेड़ पे शह
जाने किस दांव से बंधी चिड़िया

ले के बच्चे गई उदास शहर
याद के गांव से बंधी चिड़िया