भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुचुहिया बोलै ना / राजकुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँझ के चिरैंया चहकै, रात के चननियाँ
चुचहिया बोलै ना, हाय राम, आधी-आधी रतिया
चुचुहिया बोलै नाकृ

गोरे-गोरे बहियाँ पर, कारोॅ रे गोदनमाँ
जेना छै कुमुदनी लेली, भँवरा गहनमाँ
कि टिस-टिस टीसै रामा, सिहरै बदनमाँ
पवनमाँ डोलै ना, हाय राम, आधी-आधी रतिया
चुचुहिया बोलै ना...

ऐंगना तरेंगना नाकी, गेंदबा के फुलबा
झूलै छी चकोरी नाकी, असरा के झुलबा
दहलै दहेलिया एहनोॅ, खंजन परनमाँ
गगनमाँ डोलै ना, हाय राम, आधी-आधी रतिया
चुचुहिया बोलै ना...

ससरै सरप नाकी, सीतोॅ के लहरिया
सीयै छी सपनमाँ में, आसोॅ के चदरिया
भेलोॅ छै कुंदन तन, कुंद के तपनमाँ
सपनमाँ डोलै ना, हाय राम, आधी-आधी रतिया
चुचुहिया बोलै ना...

बरलोॅ छी बाती नाकी, अँजुरी नयनमाँ
सेजिया सहेजी सेबी, चन्दन बदनमाँ
उगथैं भुरुकबा बोलै, कान में, सजनमाँ
कंगनमाँ डोलै ना, हाय राम, आधी-आधी रतिया
चुचुहिया बोलै ना...