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चुनाव / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

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हैवान के कान खड़ा हे
हाथ कांपऽ हे
गोड़ लड़खड़ा हे
ओकर सहारा
कुरसी पर के भुरूकबा
अउ फिल्मी सितारा
अमिताभ अ हेमा
देख रहला हे ने
कुरसी पर के सिनेमा
रामायन के राम
घूम रहले हे तमाम
अउ कर रहलो हे विस्फोट
मांग रहलो हे
न भिलनी के बैर
न सबरी के बैर
न सबरी के साग
ई चक्कर हो
कि चुनाव,
टभक रहलो हे
नेता लोग के घाव
तो सब जखम भरहुन,
इनका कुरसी पर जाय ले
सब अपना में लड़हुन
गली-गली
जय बजरंग बली
अल्ला हो अकबर
जय काली
जय दुर्गा
हे हे भिरलै,
वह देखो बहदुरा के बेटा गिरलै
असली बोट के बक्सा
हो गेलै खाली,
नकली बक्सा में
बोट पड़ गेलै जाली
जाता पात धरम,
सब बोट के कड़ाही में
हो गेलो हे गरम
न लाज न सरम
उड़ रहलो हे गरदा,
पुलिस के
गाड़ी में
तिरंगा झंडा के परदा
पिस देलकै पिस
पगला के
पकड़ के ले गेलै पुलिस
खतम हो गेलै खेला,
वोट देवै के जगह पर
पुलिस के मेला।