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चुन्नू-मुन्नू गए बाजार! / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
चुन्नू-मुन्नू गए बजार,
वहाँ मिले बाँके सरदार!
बाँके जी की हुई सगाई,
मिली खूब भर-पेट मिठाई,
तभी किसी ने खबर सुनाई-
दुलहन को चढ़ गया बुखार,
रही तीन दिन वह बीमार!
चुन्नू-मुन्नू गए बजार,
मिले वहाँ गूंज सरकार!
गंजू जी थे बड़े सयाने,
लगे चाट-पर-चाट उड़ाने,
खाकर, दस का नोट भुनाने,
छह रुपए रह गए उधार,
चार गले में गए उतार!
चुन्नू-मुन्नू गए बजार,
वहाँ मिले पेटूमल यार!
पेटूमल ने तोंद बढ़ाई,
हलवाई पर हुई चढ़ाई,
भर-भर थाल कचौड़ी खाई,
चार किलो खा गए अचार,
मगर न आइ एक डकार!