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चुन लेना या तज देना / राजेश शर्मा ‘बेक़दरा’
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मै नहीं पहुँचूँगा
तुम तक
पहुचेंगे मेरे एहसास
कुछ शब्द बनकर...
और बिखर जाएंगे
तुम्हारे इर्दगिर्द
चुन लेना उनको
फ़ूल समझकर
या तज देना
काँटे समझकर