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चुप! चुप! चुप! / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
बडे़ अगर बोलें तो भैया,
चुप!चुप!चुप!
चुप!चुप!चुप!
कान खिंचाई बच जाएगी,
मार-पिटाई बच जाएगी,
व्यर्थ लड़ाई बच जाएगी,
चुप!चुप!चुप!
चुप!चुप!चुप!
बड़े सदा रहते गुस्से में,
हँसी कहाँ उनके हिस्से में?
डाँट-डपट पूरे किस्से में
चुप!चुप!चुप!
चुप!चुप!चुप!