चुपके से मर जायेगा जय छाङ्छा / जय छांछा
एक आदमी है जय छाङ्छा
साँस लेता है, खाता है
रोता है, हँसता है
औरों से थोड़ा भी अलग नहीं है
इसलिए औरों की तरह ही बचा है, और
दूसरे लोगों की तरह ही दिन पूरे होने पर
चुपके से मर जाएगा जय छाङ्छा ।
अजंबरी की योनी लेकर
अविनाशी का आशीर्वाद पाकर
अमृत की धारा पीते
कदापि आया हुआ नहीं है, जय छाङ्छा इस लोक में
इसलिए नियमित प्रक्रियाओं को स्वीकारते
इस दुनिया को छोड़कर जाना ही होगा
और
चुपके से मर जाएगा जय छाङ्छा।
किसी के लिये भी
मृत्यु का विकल्प है नहीं कोई
नाटक में अभिनय का अंतिम दृश्य है मृत्यु
मंचन के बाद मंच पर गिरता है पर्दा
वैसे ही पर्दा गिरेगा एक दिन जय छाङ्छा के जीवन में भी
इसलिए, किसी शंका की ज़रूरत ही नहीं
इहलोक छोड़ परलोक गमन करना ही होगा उसे
अर्थात् मरेगा जय छाङ्छा ।
जन्म के समय देखने वाले कहते हैं
रोते हुए आया था धरती पर
भविष्यदृष्टा कहते हैं
हँसते हुए छोडेगा यह धरती
क्या, किसी को है पता ?
कैसी होगी मृत्यु उसकी ?
फिर भी निश्चित है वह, जब उसका होगा समय पूरा
अनंत यात्रा में जुट जाएगा, हाँ ! जुट जाएगा
अर्थात् मर जायेगा जय छाङ्छा ।
मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला