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चुप्पी की संस्कृति / रेखा चमोली

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पढ़े लिखे समझदार लोग
सीधे सीधे न नहीं कहते
न ही उँगली दिखाकर दरवाजे की ओर इशारा करते हैं
वे तो बस चुप्पी साध लेते हैं
आपके आते ही व्यस्त होने का दिखावा करने लग जाते हैं
आपके लायक कोई काम नहीं होता उनके पास
चुप्पी समझदारी है हमेशा
आप पर कोई आरोप नहीं लगा सकता ऐसा वैसा कहने का
ज्यादा पूछने पर आप कह सकते हैं
मैंने क्या कहा?
ये चुप्पी की संस्कृति जानलेवा है।