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चुप किया जाना एक सजा है तुम्हारी खातिर / कुमार मुकुल
Kavita Kosh से
चुप किया जाना
एक सजा है तुम्हारी खातिर
जबान और हाथों को जब
रोक दिया जाता है
शालीन अश्लीलता से
तो असंतोष की किरणें
फूटने लगती हैं
तुम्हारी निगाहों से
और कई बार
उसकी मार तुम
अपने भीतर मोड देती हो
तब
तुम्हा-रे मुकाबिल होना
एक सजा हो जाता है
मेरे लिये
एक सजा
जिसे पाना
अपनी खुशकिस्मती समझता हूं मैं
मेरी कुटुबुटु
कि
हमारा रिश्ता ही दर्द का है
जिसकी टीस को
जब संभाल लेती है मेरी कविता
तब कविता का महान व्यापार
कर पाती है वह
तब
देख पाता हूं
जान पाता हूं मैं
अपने कवि होने की बुनियाद।