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चुप तो बैठे हैं हम मुरव्वत में / वीनस केसरी

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चुप तो बैठे हैं हम मुरव्वत में
जाएगी जान क्या शराफत में
 
किसको मालूम था कि ये होगा
खाएँगे चोट यूँ मुहब्बत में
 
पीटते हैं हम अपनी छाती क्यों
क्यों पड़े हैं हम उनकी आदत में
 
खून उगलूँ तो उनको चैन आए
आप पड़िए तो पड़िए हैरत में
 
बेहया हैं, सो साँसें लेते हैं
मर ही जाते तुम ऐसी सूरत में
 
अब नहीं आ रहा उधर से जवाब
लुत्फ़ अब आएगा शिकायत में

नाम उन तक पहुँच गया मेरा
अब तो रक्खा ही क्या है शुहरत में

ख़ाब में भी न सोच सकते थे
लिख के भेजा है उसने जो खत में

मैंने रोका था, ख़ाक माने आप
और पड़िए हमारी सुहबत में

जेह्न से वो नहीं उतरता है
हर घड़ी अब रहूँ इबादत में

ठोकरें खाऊंगा ...बहुत अच्छा!
और क्या क्या लिखा है किस्मत में?