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चुम्बन / रामधारी सिंह "दिनकर"
Kavita Kosh से
सब तुमने कह दिया, मगर, यह चुम्बन क्या है?
"प्यार तुम्हें करता हूँ मैं", इसमें जो "मैं" है,
चुम्बन उसपर मधुर, गुलाबी अनुस्वार है।
चुम्बन है वह गूढ़ भेद मन का, जिसको मुख
श्रुतियों से बच कर सीधे मुख से कहता है।