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चुरा लिया है तुमने जो दिल को / मजरूह सुल्तानपुरी
Kavita Kosh से
चुरा लिया है तुम ने जो दिल को
नज़र नहीं चुराना सनम
बदल के मेरी तुम ज़िंदगानी
कहीं बदल न जाना सनम
ले लिया दिल, हाय मेरा दिल
हाय दिल लेकर मुझको ना बहलाना
चुरा लिया... चुरा लिया है ...
बहार बन के आऊँ कभी तुम्हारी दुनिया में
गुज़र न जाएं ये दिन कहीं इसी तमन्ना में
तुम मेरे हो, हाँ तुम मेरे हो
आज तुम इतना वादा करते जाना
चुरा लिया ... चुरा लिया है ...
सजाऊँगा लुट कर भी तेरे बदन की डोली को
लहू जिगर का दूँगा हंसीं लबों की लाली को
है वफ़ा क्या, इस जहाँ को
एक दिन दिखला दूँगा मैं दीवाना
चुरा लिया... चुरा लिया है ...
ले लिया दिल, हाय मेरा दिल
हाय दिल लेकर मुझको ना बहलाना
चुरा लिया... चुरा लिया है ...