भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुल्लू-भर उल्लू / शेरजंग गर्ग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो थोड़ा-सा अक़्लमन्द है,
वह उल्लू सबको पसन्द है।

देखे सब कुछ किन्तु न बोले,
सुने सभी, पर भेद न खोले।

ऐसा उल्लू बुद्धिमान है,
उल्लू चुल्लू-भर महान है।