भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चूड़ियाँ / अविनाश मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हें न देखूँ तब भी
बँधा चला आता था
बहुत मीठी और नाज़ुक थी उनकी खनक
छूते ही रेजा-रेजा...