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चूड़ी / विनोद कुमार यादव
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चूड़ी
सुहागण रो सिगणार नीं
मरद रो हथियार है
चूड़ी बाजै तो मिनख जाणै
सांकड़ै है लुगाई
चूड़ी खणकै
खोरसै पाण
जको करै लुगाई
चूड़ी रो संगीत
उठै रसोई
घोटै चटणी
पोवै फलका
पुरसै लुगाई
डांगरां ने घालै तुड़ी
बाजै चूड़ी
ब्या में बटै पूड़ी
बाजै चूड़ी
मरै मिनख टूटै लुगाई
पण फूटै चूड़ी।