भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चूहा और बिल्ली / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
बिल्ली निकली
थी सैर पर,
चूहे अपनी
तू खैर कर।
दौड़ी-दौड़ी
बिल्ली आयेगी,
तुम्हें पंजों में
वह दबाकर
ले जायेगी।
जल्दी से बिल में
तुम घुस जाओ,
बिल्ली से अपनी
जान बचाओ।