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चेतना / यानिस रित्सोस / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
शाम गिर रही
धीरे-धीरे सड़क पर
गर्म कपड़ों के उसे ढेर की तरह
जो ऊपर से सरक रहा है फर्श पर
शनिवार की शाम को
मज़दूरों की पाली बदल रही है
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय