भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी / कबीर
Kavita Kosh से
चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी॥टेक॥
ब्रह्मा के मारै विष्णु के मारै।
नारद बाबा के सभा बिच पटकी॥1॥
ज्ञानी के मारै ध्यानी के मारै।
पंडित बाबा के बेद सब सटकी॥2॥
कहै कबीर एक बेर, हमरौ पर झपटी।
काशी से लेकर मगह में पटकी॥3॥