चेन रिएक्शन / अर्चना अर्चन
तुम्हें इल्म नहीं शायद
पर तुम्हारी मुस्कुराहट में
है गजब का असर
यकीं नहीं करोगे तुम
कि तुम्हारे होंठों पर सजी
प्यारी-सी मुस्कान
उत्प्रेरक का काम करती है
मेरी जिंदगी में
और शुरू हो जाता है
चेन रिएक्शन।
तुम मुस्कुराते हो।
तो मुस्कुरा उठती हूँ मैं भी
और फिर मुस्कुराने लगती है
मेरे आस-पास की हर शै
रौशन हो उठता है मेरा कमरा
और खुशी से
गाने लगती हैं दीवारें
ड्राइंग रूम के उस कोने में।
वो जो सितार रखा है ना
उसके भी तारों में
बज उठती है झंकार सी
और वह जो एक्वेरियम में
गोल्ड फिश है।
उसे भी सुनती हूँ मैं
खिलखिलाते हुए
बालकनी में
गुलाब के फूल
कुछ इस अंदाज़ में खिलते हैं
मानो होड़ लगा रहे हों
एक दूसरे से ज्यादा बड़ी स्माइल की।
तुम्हारे मुस्कुराने से
शुरू हुआ ये सिलसिला
चलता रहता है ।
मुसलसल
क्या-क्या बताऊँ तुम्हें
किस-किस की मुस्कुराहटें गिनाऊँ
बस जान लो इतना
कि सब मुस्कुराते हैं
खिलखिलाते हैं
चहकते हैं
गुनगुनाते हैं
और
भर उठती है
खुशियों से
उम्मीदों से
सपनों से
ऊर्जा से
ऊष्मा से
नई उमंगों से।
मेरी जिंदगी
जब तुम मुस्कुराते हो।