चेले चातुर करें क्या, जो गुरु हों मतिमन्द ।
आप फंसे मोह जाल में, ओ क्या काटें फ़न्द ।।
ओ क्या काटें फ़न्द फँसे माया में डोलें ।
बँधे बिचारे आप, और को कैसे खोलें ।।
गंगादास जन कहैं सरन पूरे की ले ले ।
गुरु भी पूरे होंय और निष्कपटी चेलें ।।