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चेहरे पर भूख के हस्ताक्षर थे / दिनकर कुमार
Kavita Kosh से
चेहरे पर भूख के हस्ताक्षर थे
इसलिए
सामूहिक रूप से पारित किया गया
भर्त्सना का प्रस्ताव
सलाह दी गई
सम्भ्रान्त लोग नज़र झुकाकर चलें
नाक पर रख लें रूमाल
काला चश्मा पहनें
पुटपाथों पर मक्खियों से घिरी
लाश हो
या अद्धमूर्च्छित नर-कंकाल हो
द्रवित होने की ज़रूरत नहीं है
अपनी दया अपनी करुणा
अपने लिए बचाकर रखें
वसीयत में
बच्चों के नाम लिख जाएँ
ग़ौर नहीं करें--
वातानुकूलित रेस्त्राँ के शीशे पर
चेहरे गड़ाए खड़े
कीड़े-मकोड़े पर
प्रस्ताव की प्रतिलिपियाँ
जेब में हमेशा रखें
और नंग-धड़ंग आबादी से
ख़ुद को दूर रखें
चेहरे पर भूख के हस्ताक्षर थे
इसीलिए
मनुष्यों की कतार से
खारिज हुए मनुष्य ।