भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है / साहिर लुधियानवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है
आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो
अपने पे ग़ुरूर आ जाता है
चेहरे पे ख़ुशी...

तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो
शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से
हर चीज़ पे नूर आ जाता है
जब तुम मुझे...

हम पास से तुमको क्या देखें
तुम जब भी मुक़ाबिल आते हो
बेताब निगाहों के आगे
परदा-सा ज़रूर आ जाता है
जब तुम मुझे...

जब तुमसे मुहब्बत की हमने
तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही
जीने का शु'ऊर आ जाता है
जब तुम मुझे...