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चैत्र (हाइकु) / सुधा गुप्ता
Kavita Kosh से
(चैत्र )
चैत्र जो आया
मटकी भर नशा
महुआ लाया
( बारात)
बजे नगाड़े
राजा ‘इन्दर आए’
लेके बारात’
(पंछी )
धूप-जल में
आँखें मूँद नहाते
ठिठुरे पंछी
( भादौ के मेघ )
भादौ के मेघ
बिजली के फूलों की
माला पहने
( पलाश )
लाल गुलाल
पूरी देह पर लगा
हँसे पलाश