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चैत कु मैना / महेंद्र सिंह राणा आज़ाद

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बासाणा ले घूघूती मैना चैत को लगी गैन
बेवायी बेटियों ते मैत की याद औणा लगी गैन
सोचणी होली बेटी ब्णो मा बुरांश फूली गैन
जैका भाई घौर छन वूँ झट भिटोली ल्यै गैन।

ग्यूँ-जौ की सारी फूली पिंगड़ी ह्वे गैन
पुंगड्यू का तीर-डीस फ़्योलीं फूली गैन
ऊँची-नीसी डाल्यों मा बुरांश फूली गैन
डांडी-कांठी ग्वालों से गूँजना लगी गैन।

बौणों का बीच मा लाल बुरांश खिली गैन
डाल्यों मा भाँति-भाँति का मौल्यार ऐ गैन
गों-गोड़ों मा सब कल्यों पकुणा लगी गैन
अपुण बेटी तै सब भिटोली पणस्युँण लगी गैन।

भैजी अपु बैणी तै भिटोली ल्यै के पौँछी गैन
बैणी अपु हाथ की दूध-खीर भैजी ते खवुण लगी गैन
भै-बन्धो तुम भी झट घौर चली जावा
अपु प्यारी बैणी ते तुम स्वाणों भिटोली द्यावा।

कण स्वाणों रिवाज यू हमार पहाड़ की
जै संभाली के धन जु बात हमार हाथ की
घूरण ले घूघूती ये स्वाणों चैत की
ब्वारियों ते याद ऐगे अपु प्यारो मैत की।