भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चैन सूं / ओम पुरोहित कागद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रूंख खेत रा
उण छांग दिया
बणा लियौ अड़वो
रोप दियौ
सूंऐ बिचाळै
चिड़कल्यां नै
डरावण मिस।

चिड़कल्यां देख्यौ पड़तख
अर दूजै ई दिन
बां बणाया आळणां
अड़वै री बाजू में
खूंजा में
दिया इंडा
चैन सूं।