भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चोखी बात कोनी / परमेश्वर लाल प्रजापत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लुगायां री लाज-लूटण री
खबरां आवै अखबारां में
बांच’र लोग मुळकै
पण भेजै मांय बात
आवै कोनीं कै
भाण-बेटी म्हारै ई है।
 
कन्या भ्रूण-हत्या री सुण’र
सगळा सळ घालै माथै में
बणावटी चिंत्या री
पण फगत
आपरो कसूर लुकोवण खातर।
 
रिश्वत रै जुलम मांय
अफसर नैं हटायो
खबर बांच’र
सिर हलायो कै ठीक कर्यो
पण खुद री छाती माथै
हाथ नीं धर्यो।
 
औसर मिटाणै खातर
कस राखी कड़
पण बित्तै ई
जित्तै आपरै काम नीं पड़्यो।
औसर रै ओसर
समाज-रीत है
कैय’र टुळावो लेवै।
 
दायजो ना लेवां अर ना देवां
पण बगत पड़्यां
छोरी नंै देवां अर
दियोड़ो कियां फेंका
कैय’र रुळै अर रुळावै।
 
छोटै परवार री बारखड़ी
कंठां याद पण
दूसरै छोरै री आस मांय
टाबरां री लैण लगा दी।
 
फूड़पणो
किणनैं कोनीं लागै अपरोगो?
पण संदूक रै मांय
सामटेड़ा गाभां में
लुकोयोड़ा राखै
अैड़ी मोकळी कैसिटां अर फोटूवां।
 
मिनखपणो आपरी जाण
अर पिछाण
पण मोस देवां
इणरो मणियो
जद पड़ै थोड़ो-सो ताण।
चावै खुद रै होय जावै घाटो
अणचुक्यो अणभाख्यो
अनाप-सनाप
सबर है
पण पाड़ोसी रै होयोड़ो
थोड़ो-सो नफो
लगा देवै तालामेली
आखै डील में।
 
गुड़ खाणै में के एब है
पण आटै में मिलाय
अर तेल में पकाय
गुलगुला बणाल्यां
तो वांनैं चाखणो ई
चोखी बात कोनीं।