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चोरी बुरी बला है / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
चुहिया चाची ने चुपके से,
कच्चा आम चुराया।
बिल में ले जाकर मस्ती में,
कुतर-कुतर कर खाया।
दांत हो गए खट्टे तो फिर,
वह कुछ न खा पाया।
रोते-रोते वैद्य छछूंदर,
के दरवाजे आया।
वैद्य-राज बोले चाची जी,
चोरी बुरी बला है।
चोरी करने वालों का न,
होता कभी भला है।